Poem
बदलाव की कोशिश है जारी...
देर रात तक करवटें बदलता है अनशन पर बैठा उत्साही बूढ़ा थकी हुई है निर्बल क…
यह पंक्तियां साहिर लुधियानवी द्वारा लिखी गई मशहूर कविता "कभी कभी" का हिस्सा हैं । इसमें कवि कल्पना करता है कि अगर जीवन के दुख और निराशा को…
Read moreसावन को आने दो प्रियंका सौरभ सावन को आने दो, बूंदों को गाने दो, मन के सूने कोनों में हरियाली छाने दो। भीगी धूप में खिलती मुस्कानें हों, तन क्या, मन भ…
Read moreओम जय वृक्ष देवा, स्वामी जय वृक्ष देवा मधुर मधुर फल दाता, शीतल छांव दाता ओम जय वृक्ष देवा... तुम धरती के रक्षक, तुम प्राण वायु दाता स्वस्थ सुखी हो स…
Read moreकाव्यांजलि.... पर्यावरण सुधारें विश्वम्भर मोदी पंचतत्त्व से बना हुआ है सबका यह जीवन पानी, पावक, संग समीर के धरती और गगन मानव, पशु पक्षी, तरु, झाड़ी …
Read moreअब होली आई होली आई - कर्नल कौशल मिश्र - ढप चंग ढोल सब बजने लगे, अब होली आई होली आई। गांवों से लेकर शहरों तक, सतरंगी रंगों की बहार आई। मद मस्त ह…
Read moreप्रेम-रंग से रंग दो अशोक आनन वसन मन के कोरे हैं - प्रेम-रंग से रंग दो। कोरी रंग से रहे न- रंग जाए मन-फरिया। रंग घुल -घुल बहने लगे - मन में सतरंगी द…
Read moreहैलो, आज हम आपके लिए लेकर आए हैं एक बहुत ही खूबसूरत कविता सहयात्री। जिसको वीरेंद्र नारायण झा ने लिखा है। इन्होंने कविता के मध्यम से किसी भी प्रकार की…
Read moreबेटा : पापा एक बात बोलू? पापा : हां, बोलो। बेटा : फेसबुक पर मेरे 15 फेक आईडी है। पापा : हरामखोर तू मुझे क्यों बता रहा है। बेटा : आप जिस रिया क…
Read moreपति ने ऑफिस में बैठे बैठे फेसबुक पर पोस्ट किया... 'पंछी बनू उड़ता फिरूं मस्त गगन में... तभी पत्नी का कमेंट आया... 'धरती छूते ही सब्जी ले …
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देर रात तक करवटें बदलता है अनशन पर बैठा उत्साही बूढ़ा थकी हुई है निर्बल क…
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