म्हारो राजस्थान

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म्हारो राजस्थान



हैलो फ्रेंड्स, आज हम आपके लिए लेकर आए है राजस्थान की शानदार झलक को दर्शाती खूबसूरत सी कविता "म्हारो राजस्थान"। जिसको लिखा है "आदित्य" ने। जिन्होंने बड़ी खूबसूरती के साथ राजस्थान का वर्णन किया है। 


म्हारो राजस्थान
आदित्य 

ओ है म्हारो राजस्थान
ओ है म्हारो राजस्थान 

जोधपुर रा मेवा खाओ
बीकानेरी सेंवा खाओ
घेवर थाने चोका लागे 
सीधा सीधा जैपर जाओ
कैर सांगरी साग खाल्यो
चूरमा रो भोग लगाल्यो
घाट राबड़ी ओल्यो पील्यो
कैरी को थे झोल्यो पील्यो
जीब चटोरी झोला मारे 
ईशो म्हाको खान पान 

ओ है म्हारो राजस्थान
ओ है म्हारो राजस्थान 

रामदेव है बाबो बैठ्यो
बैठा अठे है खाटू शाम
बीच में बैठ्या ब्रह्मा जी 
कर धरती को निर्माण
सालासर बालाजी बैठ्या 
संकट मोचन जय श्री राम 
भेरू जी भाटा में बसता 
करल्यो थे धरती को ध्यान 

ओ है म्हारो राजस्थान
ओ है म्हारो राजस्थान 

दुश्मन जद ढेली पर आया 
तलवारा सु तिलक लगाया
राणा को जद घोड़ा दोड्यो 
रूह कांपगी मुगला की 
रजवाड़ा को शौर्य बरस्यो 
बारा बजगी सगळा की 
लड़ता लड़ता माटी खातिर 
माटी महि वीर समाया 
शीश कट्या पण न झुक्या 
मातृभूमि ने अर्पण प्राण 
कूद अग्नि कुंड में 
नारी को राख्यो सम्मान 

ओ है म्हारो राजस्थान
ओ है म्हारो राजस्थान 

मारवाड़ रा धोरा देखो 
सतरंगी थे मोरा देखो 
गणगौरा में गौरा देखो 
हवामहल का औरा देखो
झीला की थे नगरी देखो 
बाड़मेर की बजरी देखो 
हाड़ोती में चम्बल देखो 
मेवाड़ा को सम्बल देखो 
रणथम्भोरिया नाहर देखो 
डूंगरपुर की गार देखो 
आबू का पहाड़ देखो 
बौल्या का थे झाड़ देखो 
बनी ठनी री झांकी देखो 
कालेबलिया देखो नाच 
कठपुतली रा ख्याल देखो 
ढोला मारू पुस्तक बांच 
लाक का चूड़ा माहको गहनों 
चमड़ा की थे मोच्या पहनो 
पगड़ी है म्हाको सम्मान 

ओ है म्हारो राजस्थान
ओ है म्हारो राजस्थान

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