कौन रंग फागुन रंगे,
रंगता कौन वसंत
प्रेम रंग फागुन रंगे,
प्रीत कुसुंभ वसंत
चूड़ी भरी कलाइयां,
खन के बाजू-बंद,
फागुन लिखे कपोल पर,
रस से भीगे छंद
फीके सारे पड़ गए,
पिचकारी के रंग,
अंग-अंग फागुन रचा,
सांसें हुई मृदंग
धूप हंसी बदली हंसी,
हंसी पलाशी शाम,
पहन मूंगिया कंठियां,
टेसू हंसा ललाम
कभी इत्र रूमाल दे,
कभी फूल दे हाथ,
फागुन बरजोरी करे,
करे चिरौरी साथ
नखरीली सरसों हंसी,
सुन अलसी की बात,
बूढ़ा पीपल खांसता,
आधी-आधी रात
बरसाने की गूजरी,
नंद-गांव के ग्वाल,
दोनों के मन बो गया,
फागुन कई सवाल
उधर प्रीत मगरूर,
जो भीगे वह जानता,
फागुन के दस्तूर
पृथ्वी, मौसम, वनस्पति,
भौरे,तितली, धूप,
सब पर जादू कर गई,
ये फागुन की धूल...
होली की हार्दिक शुभकामनाएं
यह भी पढ़ें
आपको हमारी यह पोस्ट कैसी लगी, हमें कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं, और अच्छी लगे तो अपने फ्रेंड्स के साथ शेयर भी करें
0 Comments
Thank you to visit our blog. But...
Please do not left any spam link in the comment box.