हैलो दोस्तों, आज हम आपके लिए लेकर आए है होली स्पेशल, इस पोस्ट में है होली का राजस्थानी रंग और होळी री प्रीत कविता लेकर आए हैं जो आपको पसंद आएगी। आप सभी को हमारी ओर से होली की हार्दिक शुभकामनाएं
अभिलाषा पारीक, "अभि", जैपुर
राजस्थानी रंग
किसो चढ़यो यो रंग भाईड़ा
किसी चढ़ी या भंग
चारयूँ मेर दिखरयो है ,
अजब-गजब सो ढंग।
खाबण पीबण री चीजां मं
रंग घुळयां बेरंगा
सुवाद अर सेहत नै भी, बै
कर दे है, बेढंगा...
रंग रंगीला इब बदरंगा
रंगीला सगळा रंग
म्हारी-म्हारी ढपली बाजै
म्हारी-म्हारी चंग...
कुआं मायं भंग पड्यौ
यो पाणी भी नसेडों
कांई खावै, कांई पीवै
सौचें मिनख खडेडो...
या किसी पड़ी है भंग
जिको चढ़यो है रंग
चारयूँ मेर दिखरयो है
अजब-गजब सो दंग !!
होळी री प्रीत
होळी रा रंग
थारा-म्हारा
म्हारी मिज़ाजण
आओ नी इब संग।
थारै सागै सो क्यूँ सोरो
थारै बिन सब दोरो
म्हारी मिजाजण
आओ नी इब संग।
प्रीत रो रंग
प्रीत री गुलाल
प्रीत री अबीर
उडावा संग
आओ नी मिजाजण
खेला होळी संग॥
राजस्थानी रंग
किसो चढ़यो यो रंग भाईड़ा
किसी चढ़ी या भंग
चारयूँ मेर दिखरयो है ,
अजब-गजब सो ढंग।
खाबण पीबण री चीजां मं
रंग घुळयां बेरंगा
सुवाद अर सेहत नै भी, बै
कर दे है, बेढंगा...
रंग रंगीला इब बदरंगा
रंगीला सगळा रंग
म्हारी-म्हारी ढपली बाजै
म्हारी-म्हारी चंग...
कुआं मायं भंग पड्यौ
यो पाणी भी नसेडों
कांई खावै, कांई पीवै
सौचें मिनख खडेडो...
या किसी पड़ी है भंग
जिको चढ़यो है रंग
चारयूँ मेर दिखरयो है
अजब-गजब सो दंग !!
होळी री प्रीत
होळी रा रंग
थारा-म्हारा
म्हारी मिज़ाजण
आओ नी इब संग।
थारै सागै सो क्यूँ सोरो
थारै बिन सब दोरो
म्हारी मिजाजण
आओ नी इब संग।
प्रीत रो रंग
प्रीत री गुलाल
प्रीत री अबीर
उडावा संग
आओ नी मिजाजण
खेला होळी संग॥
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