बदलाव की कोशिश है जारी...

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बदलाव की कोशिश है जारी...





देर रात तक
करवटें बदलता है
अनशन पर बैठा उत्साही बूढ़ा
थकी हुई है निर्बल काया,
चैन नहीं है मन को
दृष्टि भी है धुंधली
फिर भी तैयार है दधीचि की तरह
स्वयं को होम कर
भ्रष्टाचार के संहार का
हथियार बनाने को

जिसे चिन्ता है
गरीब की रोटी और बुझे चूल्हे की
उसी के आसपास हैं वे लोग
भ्रष्टाचार से खाए, अघाए
जिन्हें कौर तोड़ते नहीं है कोई चिन्ता
न भय, न शर्म
बारहों मास जिनकी मुट्ठी रही गर्म
जो भूखा बैठा है
उसके गिरते वजन की किसे है परवाह
हमारी नहीं आपकी समस्या है
कह चुके हैं लापरवाह

रंतिदेव के देश में
जहां अपना ग्रास देते हैं दूसरों को
आज निवाल छिनता औरों का
अपनों की जेब पर डलता डाका 
सियासत देती दावत रोजा इफ्तार की
वे भरते प्लेट लजीज खानों से
मन मसोसता गरीब करता फाका

जी हां
यही मेरा भारत महान
शाइनिंग इंडिया है
किसी के भरे है
किसी की फूटी हंडिया है
भारी है लाचारी
पर बदलाव की कोशिश है जारी

रश्मि रमानी

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