मुझे तो जलना है...
होली पर लकड़ियों का अभाव
खटक रहा था,
मैं मुहल्ले के बच्चों की टोली के साथ
होलिका के लिए
जंगल में भटक रहा था
अचानक
एक शीशम का पेड़ बोल पड़ा
अपने दिल के भेद खोल पड़ा,
'सुनिए,मुझे आपके साथ
चलना है,
इस बरस मुझे ही
होली में जलना है,
मेरा निश्चय दृढ़
कथन सच्चा है
अरे, किसी भ्रष्ट नेता की
कुर्सी बनने से तो
होली में जलना अच्छा है।'
@पीयूष दत्त मेहता 'पाचक'
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