हैलो फ्रेंड्स, आज हम आपके लिए लेकर आए है सीजन सेल का कविता, जो की ईयर एंड पर सभी कंपनियों द्वारा जाने वाली सेल पर आधारित है, जिसको शिवांश पाराशर "राही" ने लिखा है, और ये आपको पसंद भी आएगी
सेल सीजन
इस समय बाजारों में सीजन "सेल" का चल रहा है,
धंधा यहां पर सारा मोहब्बतों के खेल का चल रहा है !!
ये वह दौर है जहां सारे कबूतर ही बे-रोजगार हो गए,
अब चिट्ठी कौन बांधेगा जमना ई-मेल का चल रहा है !!
ये हमारा इश्क भी किसी चक्रवृद्धि ब्याज की तरह है,
लाख किश्त देने पर भी मुकदमा बेल का चल रहा है !!
मैं अब तलबगार नहीं तुम्हारा शहर तुम्ही को मुबारक,
इल्म है हिंदुस्तान में मसला ईंधन तेल का चल रहा है !!
मैं अपने गमों को चाय की प्याली में घोलकर पीता हूं,
जुबां पे जिक्र अब भी आंखों के खेल का चल रहा है !!
शिवांश पाराशर "राही"
Is samay bazaaron mein season "SALE" ka chal raha hai
Dhandha yahan par sara mohabbaton ke khel ka chal raha hai
Ye wah daur hai jahan saare kabootar hii be-rozagar ho gaye
Ab chitthi kaun bandhega, jamana e-mail ka chal raha hai
Ye hamara ishq bhi chakravriddhi byaj ki tarah hai
Lakh kisht dene par bhi mukadma bail ka chal raha hai
Main ab talabgaar nahin tumahara shahar tumhin ko mubarak
Ilm hai hindustan mein masala idhan ka chal raha hai
Mein apne gamon ko chai ki pyali mein gholkar peeta hun
Juban pe jikra ab bhi aankhon ke khel ka chal raha hai
Shivansh Parashar "RAHI"
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