अब होली आई होली आई
- कर्नल कौशल मिश्र -
ढप चंग ढोल सब बजने लगे,
अब होली आई होली आई।
गांवों से लेकर शहरों तक,
सतरंगी रंगों की बहार आई।
मद मस्त हवाएं हैं बहने लगीं,
माह फाल्गुन की मस्ती छाईं।
कलियां चटखी फूल हैं महके,
ठंडाई घोटने की खुशबू छाई।
मौसम बदला ठंड गायब हुई,
मस्ती की हवा प्रकृति है लाई।
ढप चंग ढोल सब बजने लगे,
अब होली आई होली आई।
बच्चों युवाओं और बूढ़ों तक,
रंग खेलने की है फुर्ती आई।
पिचकारियां रंग से भरी चली,
चेहरों पर सब के रंगत छाई।
जगह जगह पर टोलियां बनीं,
चंचल गीतों की फुहार आई।
भूल गए लोग अपने मनमुटाव,
मेलमिलाप की यह ऋतु आई।
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