यह भी गुजर जाएगा

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यह भी गुजर जाएगा

हैलो फ्रेंड्स, एक बार फिर से आपका हमारे इस ब्लॉग में आपका स्वागत है, आज हम आपके लिए ऐसी पोस्ट लेकर आए हैं, जो आपको किसी भी परेशानी या मुश्किल परिस्थिति से बाहर निकले में हिम्मत देने का काम करेगी, 

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यह भी गुजर जाएगा
प्रो. प्रवीण चन्द्र त्रिवेदी


पर्शिया के राजा के पास एक राजकीय अंगूठी थी। उस पर एक विवेक युक्त अनोखा सिद्धांत खुदा हुआ था। ज्योंहि वह उसे अपने नेत्रों के सामने करता, त्योंहि वह उसे तत्काल एक यथोचित, समयानुकूल सम्मति देती, वे थे पवित्र शब्द
"यह भी गुजर जाएगा"
ऊंटों के काफिले रेतीली मैदानों से होकर, समरकंद से उसके लिए बहुमूल्य रत्न लाते थे। नौका समुदाय के द्वारा समुद्र से/ उसके लिए अनमोल मोती लाते थे/ परंतु वह इस धन-निधि को तुच्छ ही समझता, तथा उसको अपना न जानकर कुछ भी महत्व नहीं देता, वह तो केवल यही कहता- "यह धन किस काम का है।"
"यह भी गुजर जाएगा"
असीम आनन्द के अवसर पर भी जब उसके अतिथि और मित्रवर्ग तालियां बजाकर खुशी मनाते वह यही कहता- 'ऐ मेरे प्यारे मित्रों' सुख आते हैं, पर सदा के लिए नहीं।
"यह भी गुजर जाएगा"
अनुपम सुन्दर स्त्री जो कभी देखने में नहीं आई हो उसकी विवाहित राजरानी थी, विवाह की सुखशैय्या पर लेटे हुए भी उसने धीरे से अपनी आत्मा से कहा- यद्यपि किसी भी राजा ने आज तक, ऐसी सुन्दर युवती का आलिंगन नहीं किया है तथापि यह मृतक शरीर केवल मिट्टी ही है-
"यह भी गुजर जाएगा"
भीषण रणक्षेत्र युद्ध करते हुए एक बार शत्रु के भाले से उसका ढाल बिंध गया/ उच्च स्वर में विलाप करते हुए उसके सिपाही, उसके रूधिर सिक्त शरीर को डेरे पर ले आए/ पीड़ा की वेदना के कारण विलाप करते हुए उसने कहा 'पीड़ा असहाय है', परन्तु-
"यह भी गुजर जाएगा"
आम रास्ते पर एक मीनार में, जो बीस गज ऊंची थी, उसकी एक पत्थर की मूर्ति प्रतिष्ठित थी, राजा ने एक दिन अज्ञात छिपे वेश में जब देखा उसके अंकित नाम को तो विचार किया कीर्ति क्या है? यश भी शनैः शनैः नष्ट होने वाली है-
"यह भी गुजर जाएगा"
पक्षाघात से ग्रस्त, अशक्त, वृद्ध वह राजा, स्वर्णद्वारों पर प्रतीक्षा करता हुआ अपने अंतिम श्वास द्वारा कहने लगा- जीवन तो समाप्त हुआ, पर मृत्यु क्या है? तब उसके उत्तर में उसकी अंगुठी पर एक प्रकाश पड़ा वह दिव्या प्रकाश यही बताता गया-
"यह भी गुजर जाएगा"
"मित्रों ये कोरोना काल भी गुजर जाएगा।"

लॉकडाउन में सीखी गई कुछ बातें
1. अमेरीका दुनिया का सबसे ताकतवर देश नहीं है।
2. यूरोप वाले उतने पढ़े लिखे नहीं है, जितना वो दिखते हैं।
3. गरीब आदमी जितना बीमारी से लड़ सकता है उतना अमीर नहीं।
4. दुनिया का सबसे बड़ा वायरस इंसान खुद ही है।
5. कोई पीर, कोई मौलवी, कोई पुजारी, कोई फकीर, कोई पादरी किसी बीमार को सिफा नहीं दे सकते।
6. अब हम महसूस कर सकते हैं जानवर पिंजरे और चिड़ियाघर में कैसा महसूस करते होंगे।
7. घरों में रह कर भी कारोबार किया जा सकता है।
8. हम फास्टफूड पिज्जा बर्गर के बगैर जिन्दा रह सकते हैं।
9. हम गाड़ियों के बगैर भी चल सकते हैं।
10. हमारे पास वक़्त बहुत हैं अगर हम सही इस्तेमाल करें।
11. दुनिया कितनी भी तरक्की कर ले, लेकिन कुदरत का मुकाबला नहीं कर सकती।

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