दीपक हूं मैं लालायित हूं
दीपक हूं मैं लालायित हूं
एक और दीप जलेगा मुझसे
यह आशा ले कर जीवित हूं
ज्योति रीति है मुझे निभानी
यह तम रेखा मुझे मिटानी
मुझे ध्वंस का अंश मिटाना
मुझे किरण पथ पर है जाना
मैं आशा लेकर जीवित हूं
दीपक हूं मैं लालायित हूं
सूर्य पुत्र हूं मैं उजाल हूं
मैं उन्नत अंगार भाल हूं
बिंदु बिंदु झरते जाना है
मुझे तिमिर पोते जाना है
बस यह लक्ष्य लिए अर्पित हूं
दीपक हूं मैं लालायित हूं
आलोकित करना है पथ को
मुझे निभाना अग्नि शपथ को
मुझे दीप कर्तव्य निभाना
मुझे भोर तक जलते जाना
इसी बोध से मैं कृत कृत हूं
दीपक हूं मैं लालायित हूं
मुझे भस्म बनकर उड़ जाना
है अपना अस्तित्व मिटाना
में प्रकाश की सूक्ष्म टपक हूं
जब तक उपयोगी तब तक हूं
इसी भाव से मैं हर्षित हूं
दीपक हूं मैं लालायित हूं
एक और दीप जलेगा मुझसे
यह आशा ले कर जीवित हूं
दीपक हूं मैं लालायित हूं
प्रसून जोशी
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