काव्यांजलि
मेरी प्रार्थनाएं
नीलम शर्मा 'नीलू'
वेदना भी बहुत है, संवेदना भी बहुत है,
कष्ट असहनीय हृदय को भेदता बहुत है,
फिर भी मेरी पलकों पर अमावस नहीं है,
क्यूं कि आशाओं का उजाला
फैलता भी बहुत है,
आंसुओं में डूब रही है
मुस्कान भरी नौकाएं,
पीड़ा के थपेड़े ये मन झेलता भी बहुत है,
पर फिर भी नहीं हारेंगे हम ये द्वंद्व सांवरे,
क्यूं कि धीर से बंधा तिनका
तैरता भी बहुत है,
कदाचित वो भूल सा गया
दया का दान करना,
अब प्रभु अपने बालकों पर
रूठता भी बहुत है,
पर वो मेरी उदासियों से
मुंह मोड़ेगा कब तक,
वो छुप छुप कर मेरा चेहरा
देखता भी बहुत है,
रोज टूट रही हैं कच्ची कोपलें पेड़ों से,
हर रोज तूफान बाग को
घेरता भी बहुत है,
अब वो ही ढकेगा
इस विष भान को उदारता से,
विधाता अमृत के झीने सावन
उंडेलता भी बहुत है,
क्यूं बजते ही जा रहे हैं काल के
नूपुर तांडव में,
क्रोध में कुदरत विध्वंश
बिखेरता भी बहुत है,
फिर भी मेरी प्रार्थनाएं अविरल हैं ईश्वर,
तू स्याह दुआओं से कामना चित्र
उकेरता भी बहुत है,
चैन की कोई धुन इन कानों को
सुनाए तो सही,
क्रंदन से कर्ण पटल बिचारा
जूझता भी बहुत है,
माधव की बांसुरी सा मधुर
कुछ बजे तो बात हो,
वो मुस्कुराहटों में दर्द
समेटता भी बहुत है।
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