आंखों में पानी चाहिए

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आंखों में पानी चाहिए



सिर्फ़ खंजर ही नहीं आंखों में पानी चाहिए
ऐ ख़ुदा दुश्मन भी मुझ को ख़ानदानी चाहिए

शहर की सारी अलिफ़-लैलाएं बूढी हो चुकीं
शाहज़ादे को कोई ताज़ा कहानी चाहिए

मैं ने ऐ सूरज तुझे पूजा नहीं समझाती है
मेरे हिस्से में भी थोड़ी धूप आनी चाहिए

मेरी क़ीमत कौन दे सकता है इस बाज़ार में
तुम जुलेख़ा हो तुम्हें क़ीमत लगानी चाहिए

जिंदगी है इक सफ़र
और जिंदगी की राह में जिंदगी भी आए तो ठोकर लगानी चाहिए
मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया
इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए

(राहत इन्दौरी)

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