दूध में दरार पड़ गई

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दूध में दरार पड़ गई



दूध में दरार पड़ गई

खून क्यों सफ़ेद हो गया?
भेद में अभेद खो गया।

बँट गये शहीद,
गीत कट गए,

कलेजे में कटार दड़ गई।
दूध में दरार पड़ गई।

खेतों में बारूदी गंध,
टूट गये नानक के छंद सतलुज सहम उठी,

व्यथित सी बितस्ता है।
वसंत से बहार झड़ गई
दूध में दरार पड़ गई।

अपनी ही छाया से बैर,
गले लगने लगे हैं गैर,
खुदकुशी का रास्ता, तुम्हें वतन का वास्ता।

बात बनाएँ, बिगड़ गई।
दूध में दरार पड़ गई।

अटल बिहारी वाजपेयी

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