हेलो फ्रैंड्स, आपके लिए लेकर आए हैं जनवरी से शुरू होकर दिसम्बर में साल के पूरे होने पर लिखी गई एक खूबसूरत कविता। अपने साल को दोनों माह के संबंध को बढ़ाती है, और इनके संबंध को गहरा बनाती है। यह कविता आपको बहुत पसंद आएगी...
खूबसूरत लाइन
दोनों जुड़े हुए हैं ऐसे, धागे के दो छोर के जैसे
पर देखो दूर रहकर भी साथ निभाते हैं
जो दिसम्बर छोड़ के जाता है, उसे जनवरी अपनाता है
और जो जनवरी के वादे हैं, उन्हें दिसम्बर भी निभाता है
कैसे जनवरी से दिसम्बर से सफर में 11 महीने लग जाते हैं
लेकिन दिसम्बर से जनवरी बस 1 पल में पहुंचे जाते हैं
जब ये दूर जाते हैं, तो हाल बदल देते हैं
और जब पास आते हैं, तो साल बदल देते हैं
Donon Jude Huye Hein Aise, Dhaage Ke Doo Chhor Ke Jaise
Par Dekho Dor Rahkar Bhi Sath Nibhate Hein
Jo December Chhod Kar Jaata Hein, Usse January Apnata Hein
Aur Jo January Ke Vaade Hein, Unhen December Nibhata hein
Kaise January Se December Se Safar Mein 11 Mahine Lag Jaate Hein
Lekin December Se January Bas Ek Pal Mein Pahunch Jaate Hein
Jab Ye Door Jaate Hein, To Haal Badal Dete Hein
Aur Jab Pass Aate Hein, To Saal Badal Dete Hein
आपको हमारी यह पोस्ट कैसी लगी, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं, और अच्छी लगे तो अपने फ्रैंड्स के साथ शेयर भी करें।
0 Comments
Thank you to visit our blog. But...
Please do not left any spam link in the comment box.