पिता
दुनिया में एक ही वो शख्स है
जो आपको अपने से भी आगे देखता है
घर के सदस्य परिवार बनते हैं
एक दूजे का साथ निभाते हैं
मुश्किलों में हिम्मत बांधते है
और हर जश्न मिलकर मनाते हैं
पिता की मौजूदगी
सूरज की तरह होती है
सूरज गरम जरूर होता है
अगर नहीं हो हो तो
अंधेरा छा जाता है
जो बंधन एक परिवार को
सच्चे रूप से जोड़ता है
वह रक्त का नहीं है
बल्कि एक दूसरे के लिए
समान और खुशी का होता है
बात दिल की जान ले जो
आंखों से दर्द पहचान ले जो
दर्द हो चाहे हो खुशी
आंसुओं की पहचान कर ले जो
वो शख्स जो बेपनाह प्यार करे
पिता ही तो है वो जो बच्चों के लिए जिए
पिता
मां घर का गौरव तो पिता घर का अस्तिव होते हैं
मां के पास अश्रुधारा तो पिता के पास संयम होता है
दोनों समय का भोजन मां बनती है तो
जीवन भर भोजन की व्यवस्था करने वाले पिता को हम सहज ही भूल जाते हैं
कभी लगी ठोकर या चोट तो ओ मां ही निकलता है
लेकिन रास्ता पार करते कोई ट्रक पास आकार ब्रेक लगाए तो
बाप रे यही मुंह से निकलता है
क्योंकि छोटे छोटे संकटों के लिए मां है
पर बड़े संकट आने पर पिता ही याद आते हैं
पिता एक वट वृक्ष है जिसकी शीतल छांव में संपूर्ण परिवार सुख से रहता है।
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