अलाव- केदार शर्मा

Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

अलाव- केदार शर्मा

हैलो दोस्तों, सर्दी को मौसम शुरू हो गया है और जैसे ही सर्दियां शुरू होती है अलाव की जरूरत हर किसी को महसूस होती है और हो भी क्यों नहीं इससे सर्दी काफी राहत मिलती है। इसी को लेकर हम आपके लिए आए अलाव कविता जो आपको आपके पुराने दिनों की यादें ताजा कर देगी...

Poem,Hansi Joke,alaav kedar sharma kavita,alaav kedar sharma poem,Hansi Jokes,Hindi Poem,Hindi Kavita,alaav kavita,Kavita,

सर्द हवा
मौसम की पहली लहर,
और वो पहला अलाव,
कुछ याद कर,
ठिठक कर देखता हूं...
कहां ले चला, 
मकसदों का ये बहाव,
वक्त की बंदिशों पर,
रोज घुटने टेकता हूं...
ये सांझे की आग,
और बेगानों से जुड़ाव,
दो टुकड़े लकड़ी के,
ढूंढ कर फेंकता हूं...
मजबूरी और मुस्कान में,
एक का चुनाव,
कुछ पल ही सही, आज फिर...
थम कर जरा हाथ सेकता हूं...

 
अलाव
केदार शर्मा 'निरीह'

रात का घना अंधकार,
घनी ठंड, घना कोहरा,
अलाव के कवच में, 
सिमटी है अनेक सांसे।
धीरे-धीरे जमी हुई
चर्चाएं पिघलती हैं,
कभी उबलती हैं,
और विलीन हो जाती हैं
भाप बनकर।

अफसाने सुलगने लगते हैं,
कभी धुआं उठता है,
और नम हो जाती हैं आंखें।
यादों की चिंगारियां,
उड़ने लगती हैं।

तापना तो एक बहाना है,
सच में तो
भीतर का ताप मिटाना है।
समय के साथ,
ठंडे होने लगे हैं अलाव,
राख बुझी-बुझी सी है,
जाने क्यों अलाव
उदास-उदास सा है।

बाजी
रामगोपाल आचार्य

सभी को आंख का 
तारा न कर,
बिना परखे ही डोरे
डारा न कर। 

मिल बांट कर खाना
सीख लेना,
माल कब्जे में अपने
सारा न कर। 

कहते जिंदगी भी तो
एक जंग है,
हर जगह पर बाजी
हारा न कर।

प्रत्येक समस्या का 
समाधान है,
दिमाग ठंडा रख, 
गर्म पारा न कर।  

हर किसी को
बराबर समझना,
किसी कमजोर को
मारा न कर।

सच को सच 
झूठ को झूठ कह दे,
तू उनकी आरती
उतारा न कर। 

'रामजी' जीत सत्य की होती है
बस रख भरोसा,
मन खारा न कर।

आपको हमारी यह पोस्ट कैसी लगी, हमें कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं, और अच्छी लगे तो अपने फ्रैंड्स के साथ शेयर भी करें 



Post a Comment

0 Comments