...मैं यादों का
किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत
याद आते हैं...
...मैं गुजरे पल को सोचूँ
तो, कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं...
...अब जाने कौन-सी नगरी में,
आबाद हैं जाकर मुद्दत से...
...मैं देर रात तक जागूँ तो ,
कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं...
...कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
...कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
...मैं शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
...कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं...
...सबकी जिंदगी बदल गई,
...एक नए सिरे में ढल गई,
...किसी को नौकरी से फुरसत नहीं...
...किसी को दोस्तों की जरूरत नही...
...सारे यार गुम हो गए हैं...
...."तू" से "तुम" और "आप" हो गए हैं...
...मैं गुजरे पल को सोचूँ
तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं...
...धीरे धीरे उम्र कट जाती है...
...जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है,
...कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है...
और कभी यादों के सहारे ज़िन्दगी कट जाती है ...
...किनारों पे सागर के खजाने नहीं आते,
...फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते...
...जी लो इन पलों को हंस के दोस्त,
फिर लौट के दोस्ती के जमाने नहीं आते ....
***हरिवंशराय बच्चन***
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3 Comments
This is not the writing style of bachhanji
ReplyDeleteRead latest funny jokes in hindi, click on this
ReplyDeleteयह हरिवंशराय जी की कविता नहीं है
ReplyDeleteThank you to visit our blog. But...
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