हेलो फ्रैंड्स, आज हम आपके लिए लेकर आए है, जाते हुए इस साल के इस दिसम्बर माह और आने वाले साल के जनवरी माह के बीच के संबंध को दर्शाने वाले एक कविता। हमें उम्मीद है कि आपको यह कविता पसंद आएगी...
रिश्ता दिसम्बर-जनवरी का
कितना अजीब है ना, दिसम्बर-जनवरी का रिश्ता...
जैसे पुरानी यादों और नए वादों का किस्सा...!
दोनों काफी नाजुक हैं, दोनों में गहराई हैं...
दोनों वक्त के राही हैं, दोनों ने ठोकर काई हैं...!
यूं तो दोनों का हैं, वही चेहरा, वही रंग...
उतनी ही तारीखें, और उतनी ही ठंड...!
पर पहचान अलग हैं दोनों की...
अलग है अंदाज और अलग है ढंग...!
एक अन्त है, एक शुरुआत...
जैसे रात से सुबह, सुबह से रात...!
एक में याद है, तो दूसरे में आस...
एक को है तजुर्बा, तो दूसरे को विश्वास...!
Rishta December-January Ka
Kitna Azib Hein N, December-January Ka Rishta
Jaisa Purani Yaadon Aur Naye Vaadon Ka Kissa
Donon Kafi Najuk Hein, Donon Mein Gaharai Hein
Donon Waqt Ke Rahi Hein, Donon Ne Thokar Khai Hein
Yun To Donon Ka Hein, Vahi Chehara, Vahi Rang,
Utani Hi Taarikhein Aur Utani Hi Thand
Par Pahachan Alag Hein Donon Ki
Alag Hein Andaz Aur Laga Hein Dhang
Ek Ant Hein, Ek Shuruaat
Jaise Raat Se Subah, Subah Se Raat
Ek Mein Yaad Hein, To Doosare Mein Aass
Ek Ko Hein Tajurba, To Doosare Ko Vishwash
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