हैलो फ्रेंड्स, आज हम आपके लिए लेकर आए हैं एक शानदार ग़ज़ल, जिसको लिखा है "निश्चल अजवानी गाफिल" ने, और यह आपको काफी पसंद आएगी।
गजल
निश्चल अजवानी गाफिल
जिनके दम से हम थे
वे हमारे चले गए।
था कन्धे पे जिनके हाथ वे
सहारे चले गए।
चमन मे महकते फूल थे,
कलियां थीं, भंवरे थे,
इक ऐसी आंधी आई
सब नजारे चले गए।
आप शहर से क्या गए,
शहर ही साथ ले गए
हम सूने शहर में आपको
पुकारे चले गए।
आपने बुलाया नहीं,
हमारे खुद आया गया नहीं,
खाली हाथ आपके दर से
हम बिचारे चले गए।
झिलमिलाते थे सभी
आपके आंचल में कभी,
वो चांद, वो सूरज
वो सितारे चले गए।
पास आके बात करने में है
दुनियां जहान का डर,
इसलिए वो दूर से ही
करके इशारे चले गए।
जिसने कोई फिक्र न की
सब खुदा पे छोड़ दिया,
वह अमन चैन से अपनी
जिन्दगी गुजारे चले गए।
भला करने वाले और
सबका भला चाहने वाले,
यूं समझ लें कि वो पिछला
कर्जा उतारे चले गए।
आए थे जहान में सब एक
ही तरह से मगर,
कुछ खुशियों में जी गए,
कुछ गम के मारे चले गए।
दिल तोड़कर, मुंह मोड़
कर, रूठ कर "गाफिल"
वो थे मेरी जान,
वो जान से प्यारे चले गए।
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