हैलो फ्रेंड्स, आज हम आपके लिए लेकर आए हैं दीवानगी, जो की हर किसी में किसी न किसी चीज को लेकर होती। ऐसी ही कविता सी.एस. शर्मा लिखी है, जिसमें उन्होंने सबकी अपनी-अपनी दीवानगी को बताया है।
दीवानगी
सी.एस. शर्मा 'शेखर'
सावन की घटाओं में
छुपी हैं बादलों की
आवारगी
चहकते पक्षियों
नाचते मयूरों में
छुपी है कुदरत की
बानगी
फिजाओं में घुलकर
छुपी है फूलों की
बहारगी
प्रेमियों की तड़प में
छुपी है कशिश की
दिल्लगी
सीमाओं की रक्षा में
छुपी है सैनिकों की
मर्दानगी
सजन संग प्रीत में
छुपी है शोखियों की
हैरानगी
यही है 'दीवानगी'
Deewangi
C.S. Sharma "Shekhar"
sawan ki ghataon mein
chhupi hain badalon ki
awargi
chahakate pakshiyon
nachate mayuron mein
chhupi hai kudarat ki
banagi
fizaon mein ghulkar
chhupi hai phoolon ki
baharagi
premiyon ki tadap mein
chhupi hai kashish ki
dillagi
simaon ki raksha mein
chhupi hai sainikon ki
mardangi
sajan sang preet mein
chhupi hai shokhiyon ki
hairangi
yahi hai deewangi
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