रख लो फासले

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रख लो फासले

हैलो फ्रेंड्स, आपका हमारे ब्लॉग में फिर से स्वागत है, आज हम आपके लिए लेकर आए हैं पूरे विश्व में फैली कोरोना महामारी को लेकर एक नई पोस्ट, जिसको लिखा है सुशीला शील राणा ने। इसमें उन्होंने इस बीमारी से हुए दुष्परिणाम को बताया है साथ ही कुछ सावधानियों बरतने को भी कहा है। हमें उम्मीद है कि यह आपको जरूर पसंद आएगी 
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रख लो फासले
सुशीला शील राणा

तड़प रही है जिंदगी,
उखड़ रही है सांस।
कोविड आकर जब मिला,
बना गले की फांस।
कोरोना की चेन को,
तोड़ो रह कर दूर।
साया उठे न बाप का,
उजड़े न सिंदूर।
कोरोना की मार से,
हाऊसफुल श्मशान।
महाकाल इस काल को,
दे दो अब अवसान।
गांव शहर सुनसान है
दहल उठा श्मशान।
रहम करो मेरे खुदा,
देगा कौन अज़ान।
रख लो कुछ दिन फासले,
रख लो खुद को ठीक।
कोरोना देगा नहीं,
फिर सांसों की भीख।
मरने की फुर्सत नहीं,
कहते थे न आप।
भूले सपनों से करो,
जी भर मेल-मिलाप।
इतराए है आसमां,
कई सितारें जोड़।
खुदा जमीं के वास्ते,
कुछ तो तारे छोड़।
परख रही है जिंदगी,
क्या किसका किरदार।
देख रही है तेल भी,
और तेल की धार।
कर लो थोड़ी नेकियां,
दरिया में दो डाल।
यही खुदा की बंदगी,
रखती है खुशहाल।

आपको हमारी यह पोस्ट कैसी लगी हमें कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं, और अच्छी लगे तो अपने फ्रेंड्स के साथ शेयर भी करें। आप भी अपनी कोई रचना (कहानी, कविता) हमारी मेल आईडी hansijoke@gmail.com पर भेज सकते हैं जिसे आपके नाम के साथ पोस्ट किया जाएगा।

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