सर्द मौसम की रातों में,
जागके चुपके-चुपके
तेरे ख़्यालों के फंदों से
मन के नर्म भावों की सलाइयों पर,
बुना है तुम्हारे लिए एक स्वेटर,
एहसासों की लच्छियों के बनाकर गोले
नर्म बैंगनी धागों से कुछ फंदे सीधे,
कुछ उल्टे बुने
कुछ अनुभव के फंदे जोड़ दिए,
कहीं कुछ ग़म के फंदे घटा दिए,
मन की उम्मीदों से नाप लिया है... तुम्हारा
जिं़दगी के कुछ नमूने भी डाल दिए
सुनो, कहीं कोई फंदा जो खुला रह जाए गर
तुम अपने अनुभवों के सलीक़े से इसे बंद कर देना
देखो उधड़ ना जाए, अपने रिश्तों का स्वेटर
सर्द मौसम में जो राहत दे सके
तुम्हारी रूह को
मैंने बुना है गर्म देह-सा,
नरम एहसासों-सा,
तुम्हारे लिए संवेदनाओं का स्वेटर
आराधना जोशी
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