हेल्दी और फिट रहना है तो फॉलो करें नींद के 4 नियम
यह शाश्वत सत्य है कि प्रकृति ने हमें सूर्य के प्रकाश के साथ बांधकर रखा है। उजाले और अंधेरे के साथ ही चलती है हमारी बायोक्लॉक। प्रकृति ने ही यह नियम बनाया है कि हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हमें रात में भरपूर नींद की जरूरत होती है। अगर प्रकृति का नियम है कि अंधेरा होते ही हमारे लिए नींद जरूरी होती है, तो नींद के भी अपने कुछ नियम हैं। आइए, आज हम इन्हीं कुछ नियमों की बात करते हैं :
1. कितनी नींद जरूरी?
नवजात शिशु की ग्रोथ और अच्छी सेहत के लिए चौदह से अठारह घंटे की नींद आवश्यक है तो यह किशोरावस्था तक घटते-घटते सवा आठ से सवा नौ घंटे रह जाती है। एक शोध ने कुछ समय पहले ही यह सिद्ध किया है कि जिन बच्चों का रात में सोने का वक़्त नौ बजे के बाद तक खिंचता है, उनको जवानी में मोटापे की समस्या का सामना करना पड़ता है। एक वयस्क के लिए सात से नौ घंटे की नींद आवश्यक होती है। हाल ही में रैंड कॉर्पोरेशन की एक स्टडी रिपोर्ट के अनुसार रोजाना 6 घंटे से कम सोने वालों की जल्दी मौत का खतरा 7-9 घंटे सोने वालों की तुलना में 13% अधिक होता है।
2. पूरी नींद क्यों जरूरी?
पूरी नींद न सिर्फ हमारे मूड, स्मरणशक्ति और बौद्धिक क्षमता को निखारती है, बल्कि हमारे हॉर्मोन संतुलन और रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी पुख्ता करती है। ग्रोथ हॉर्मोन जिसका महत्व इसके नाम से ही स्पष्ट है, सोते समय ही स्रावित होता है। ग्लूकोस मेटाबॉलिज्म को भी नींद की कमी इतना प्रभावित करती है कि शरीर प्री-डायबीटिक स्थिति में आ जाता है। एफएसएच और एलएच हॉर्मोन जो प्रजनन के लिए आवश्यक हैं, वे भी सुषुप्तावस्था में ही स्रावित होते हैं। हृदय रोग तथा लकवे के रोग में भी नींद की कमी एक कारक पाया गया है।
3. कैसा माहौल जरूरी?
अच्छी नींद के लिए अच्छा माहौल भी जरूरी है। मतलब शयन स्थान में रोशनी, शोर, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के परिचालन आदि गहरी नींद के दुश्मन हैं। अगर रात को सोते समय भी आपका वाट्सएप चालू है और उसमें मैसेज आ रहे हैं तो यह आपकी नींद को डिस्टर्ब करेंगे। आजकल की घड़ियों या मोबाइल के अलार्म में मिलने वाला स्नूज़ बटन भी कोई अच्छी सुविधा नहीं है। इसके जरिए पांच-पांच मिनट की किस्तों में चुराई गई नींद में कोई गुणवत्ता नहीं होती।
4. क्या दिन में सोना ठीक है?
अगर रात की नींद बढ़िया चाहिए तो दिन के समय किसी भी हाल में बीस से तीस मिनट से अधिक समय की झपकी नहीं लेनी चाहिए। और हां, यह भी बहुत ज़रूरी है कि हम सोने और जागने का समय काफी हद तक नियत रखें, फिर चाहे छुट्टी हो या सप्ताहांत।
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