मेरी माटी मेरा देश
अनिल पालीवाल
मेरी माटी मेरा देश
हर हृदय यह संदेश
एक रहेगा मेरा देश।
अलग हो चाहे भाषा वेश
देश प्रेम का एक परिवेश
एक रहेगा मेरा देश
मेरी माटी मेरा देश
बलिदानों की रही परिपाटी
चाहे रेजांगला या कश्मीर घाटी
प्राणों से प्यारी देश की माटी।
मेरा देश मेरी माटी
मिल पिएं देश प्रेम की बूटी
कन्याकुमारी से हिमालय की चोटी
चन्दन है इस देश की माटी।
परदेश से जब कोई यात्रा लौटी
पहले लगते मस्तक पर माटी
चल ना पाए दुश्मन की गोटी
मिल कर खाओ सांझी रोटी।
मेरी माटी मेरा देश
हर हृदय में यह संदेश।
हमारी एकता
चांद शेरी
सूफियों, संतों का
बस यही फरमान है।
हमारी एकता
इस वतन की जान है।
हम कितने की रंगों में
रंगे हैं लेकिन
तीन रंग का तिरंगा
हमारी शान है।।
कच्ची सड़कों पर चलकर
जो हस्ती रखता है।
नफरत के जंगल में
मुहब्बत की बस्ती रखता है।।
जिनकी रगों में दौड़ता है
शहीदों का लहू।
हां वही शख्स दिल में
वतन परस्ती रखता है।।
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