पानी...

Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

पानी...

हैलो दोस्तों, आज हम आपके लिए लेकर आए हैं पानी की कविता, जिसमें बताया गया है कि पानी जहां पर होता है उसका रंग वैसा ही हो जाता है, अर्थात उसका व्यवहार उसी अनुरूप हो जाता है। जिसको लिखा है ऋचा माथुरिया ने, जो अपको पसंद आएगी।

Poem,Hansi Joke,pani ki kavita,Hansi Jokes,Hindi Poem,Hindi Kavita,Kavita,colour of water,water poem,

पानी
ऋचा मथुरिया


पंचमहा भूतों में चौथा पानी
जो अग्नि में पक कर
शुद्ध होता है
अपने भीतर कितनी
तरंगे रखता है
थाली में रखा पानी
जो चांद से अठखेलियां
करता है
मेरे भीतर कितनी
हिलोरें लेता है
क्षीर सागर का पानी
लक्ष्मी विष्णु का निवास होता है
मेरे भीतर भी तो कहीं बहता है
गोशे गोशे का पानी
जिस जमीं से मिलता है
वहीं का भाव रखता है

Poem,Hansi Joke,pani ki kavita,Hansi Jokes,Hindi Poem,Hindi Kavita,Kavita,colour of water,water poem,

मेरी आंखों का पानी
दर्द की खार के साथ बहता है
मुझे रवायतों से
रूबरू कराता है
रंग स्वाद और
महक से रहित पानी
दरिया सा मीठा
समंदर सा खारा होता है
झरने सा बहता है
मायने बेशुमार रखता है
मेरे जीवन का आधार पानी
जब चांद (मन) को
तटस्थ रखता है
जब ही गंगा सा स्त्रोत बहता है
नलों में बहता ये पानी
शुभ-अशुभ कहां देखता है
पहले सा मान कहां रखता है।

आपको हमारी यह पोस्ट कैसी लगी, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और अच्छी लगे तो अपने फ्रेंड्स के साथ शेयर भी करें

Post a Comment

0 Comments