हम जंग न होने देंगे!
विश्व शांति के हम साधक हैं, जंग न होने देंगे!
कभी न खेतों में फिर खूनी खाद फलेगी,
खलिहानों में नहीं मौत की फसल खिलेगी,
आसमान फिर कभी न अंगारे उगलेगा,
एटम से नागासाकी फिर नहीं जलेगी,
युद्धविहीन विश्व का सपना भंग न होने देंगे।
जंग न होने देंगे।
हथियारों के ढेरों पर जिनका है डेरा,
मुंह में शांति, बगल में बम, धोखे का फेरा,
कफन बेचने वालों से कह दो चिल्लाकर,
दुनिया जान गई है उनका असली चेहरा,
कामयाब हो उनकी चालें, ढंग न होने देंगे।
जंग न होने देंगे।
हमें चाहिए शांति, जिंदगी हमको प्यारी,
हमें चाहिए शांति, सृजन की है तैयारी,
हमने छेड़ी जंग भूख से, बीमारी से,
आगे आकर हाथ बटाएं दुनिया सारी।
हरी-भरी धरती को खूनी रंग न लेने देंगे
जंग न होने देंगे।
भारत-पाकिस्तान पड़ोसी, साथ-साथ रहना है,
प्यार करें या वार करें, दोनों को ही सहना है,
तीन बार लड़ चुके लड़ाई, कितना महंगा सौदा,
रूसी बम हो या अमेरिकी, खून एक बहना है।
जो हम पर गुजरी, बच्चों के संग न होने देंगे।
जंग न होने देंगे।
साभार : मेरी इक्यावन कविताएं
@अटल बिहारी वाजपेयी
0 Comments
Thank you to visit our blog. But...
Please do not left any spam link in the comment box.