वतन से मोहब्बत

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वतन से मोहब्बत

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वतन से मोहब्बत

कफन पर लिपटा
वो तिरंगा भी सोचता होगा।
ऐ सैनिक करूं सलाम
तेरी शहादत को या वतन से तेरी
मोहब्बत को जहन में भर कर
इस मोहब्बत को मौत को
कल फिर गले लगा लेगा तू
देकर अपनी जान

इस मिट्टी में फिर मिल जाएगा तू
वतन से मोहब्बत इस कदर निभा गया तू
कि लौटकर मां के घर फिर न आया तू
जहन से निकले ये शब्द
कल पड़ जाएंगे धीमे

कि कल फिर आएगा तू
और बेरंगी इस जमीन को लाल रंग जाएगा तू
यह सिलसिला तब तक बरकरार रहेगा
जब तक इस दिल में मोहब्बत का करार रहेगा
(स्निग्धा)


उसको सबक सिखाना है

कफन पर लिपटा वो
तिरंगा भी सोचता होगा
कि करू सलाम तेरी शहादत को
मेरे जैसे तिरंगे तेरे जहन में
हजार बसते होंगे।
कि सलाम करूं इस मोहब्बत को
कि उड़ती धूल में इस मोहब्बत की
महक इस कदर घोल गया तू

फिर देश ने आज हमारे
नया जख्म ये खाया है।
फिर आतंकी सांप ने
गंदा फन हम पर फैलाया।
आस्तीन का सांप बना ये
हर बार डंक चुभाता है।

अपने इस विष से हम सबके
दिल घायल कर जाता है।
उठो वीर जवानों मेरे
देश के वीर सपूत उठो अब
इन आतंकी आलाओं को
बिल में ही धूल चटाना है।

बुद्ध की इस सुन्दर धरती पर
राम की इस पावन मिट्टी पर
अपने सम्मान का खातिर
अब युद्ध ही एक सहारा है।
समझौते तो बहुत हुए
बातें आपस में बहुत हुई।

पर ऐसे नासूर को ही
अब जड़ से काट गिराना है।
हल ये ही हैं एकमात्र
हल ये ही हैं एकमात्र
जिसकी भाषा वो जानता हैं।
उसकी ही भाषा में अब
उसको सबक सिखाना है।

(अनिता जौहरी)

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