अभिद्रगुणत अभिनन्दन गणतन्त्र
तुम्हारा वंदन हैं गणतन्त्र
उन्नत भारत भात सुशोभित चंदन है गणतन्त्र
जीत गगन में फैले खुलकर अपना सीना
ताज याद दिलाए इमें तिरंगा
वीरों का बतिदान
हंसते हंसते हुए देश के खातिर जो कुर्बान
लेकिन भारत मां की रखी आन-बान और शान
प्रगति शिखर पर चढ़े सहज वस्र चंदन हैं गणतन्त्र
उत भारत भात सुशोभित चंदन हैं गणतंत्र
समता समरसता समाज की संविधान का मूल त्याग
नीति आदर्श समन्वित कर विधान अनुकूत धर्म कर्त्तव्य
करें इमराग द्वेष सब भूत
चलो मिटाए मानवता के पथ पर बिखरे शूत
निखर गया जो तप तप कर वइ कुंदन हैं गणतन्त्र
उन्नत भारत भात सुशोभित चंदन हैं गणतन्त्र
एक सुबह एक मोड़ पर
मैंने कहा उसे रोक कर
हाथ बढ़ा ए जिंदगी
आंख मिला के बात कर
रोज़ तेरे जीने के लिये,
एक सुबह मुझे मिल जाती है।
मुरझाती है कोई शाम अगर,
तो रात कोई खिल जाती है।
मैं रोज़ सुबह तक आता हूं
और रोज़ शुरु करता हूं सफ़र
हाथ बढ़ा ए ज़िंदगी
आंख मिला के बात कर
गुलजर साहब
आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
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