कवि की शादी

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कवि की शादी



एक औरत अपनी पति से कहती है...

अजी, आप ये हुक्का मत पिया करो...

सुनती हूं कि यह बहुत नुकसानदेह है...

पति: तू बहुत भोली है.. नहीं समझोगी..

पत्नी : क्यों?

पति : हुक्के में त्रिदवों का वास होता है, नीचे जल देवता, बीच में पवन देवता और ऊपर अग्नि देवता..

ऐसा सुनने के पत्नी अब हुक्का देखते ही हाथजोड़कर खड़ी हो जाती है।



कवि की शादी

एक कवि की शादी हुई …सुहागरात पर कवि ने अपनी साहित्यक भाषा में अपनी दुल्हन से बातचीत की शुरुआत कुछ इस तरह से की...

प्रिय, आज से तुम ही मेरी कविता हो, अभिलाषा हो, भावना हो, कामना हो...

दुल्हन ने यह सुनकर दूल्हे से कहा...

मेरे लिए भी आज से तुम ही मेरे मुकेश हो, मितेश हो, राजेश हो, रमेश हो...

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