राजस्थान दिवस पर विशेष ध्यान दिलाऊ सा थारो को...
"आपणी संस्कृति"
मारवाड़ी बोली
ब्याव मं ढोली
लुगायां रो घुंघट
कुवे रो पणघट
ढूंढता रह जावोला...
फळीयां रो साग
चूल्हे मायली आग
गुवार री फळी
मिसरी री डळी
ढूंढता रह जावोला...
चाडीये मे बिलोवणो
बाखळ मं सोवणों
गाय भैंस रो धीणो
ओक सु पाणी पिणो
ढूंढता रह जावोला...
खेजड़ी रा खोखा
भीत्यां मं झरोखा
ऊंचा ऊंचा धोरा
घर घराणे रा छोरा
ढूंढता रह जावोला...
बडेरा री हेली
देसी गुड़ री भेली
काकड़िया मतीरा
असली घी रा सीरा
ढूंढता रह जावोला...
गांव मं दाई
बिरत रो नाई
तलाब मं न्हावणो
बैठ कर जिमावणों
ढूंढता रह जावोला...
आंख्यां री शरम
आपाणों धरम
मां जायो भाई
पतिव्रता लुगाई
ढूंढता रह जावोला...
टाबरां री सगाई
गुवाड़ मे हथाई
बेटे री बरात
ढूंढता रह जावोला.....
आपणो खुद को गांव
माइतां को नांव
परिवार को साथ
संस्कारां की बात
ढूंढता रह जावोला...
सबक : आपणी राजस्थानी संस्कृति न बचावो सा।
राजस्थान दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं
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