राष्ट्रकवि दिनकर की रचना
ये धुंध कुहासा छंटने दो
रातों का राज्य सिमटने दो,
प्रकृति का रूप निखरने दो
फागुन का रंग बिखरने दो,
प्रकृति दुल्हन का रूप धर
जब स्नेह–सुधा बरसाएगी
शस्य–श्यामला धरती माता
घर -घर खुशहाली लाएगी,
तब चैत्र-शुक्ल की प्रथम तिथि
नव वर्ष मनाया जाएगा,
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
जय-गान सुनाया जाएगा...
नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
रिद्धि दें, सिद्धि दें,
वंश में वृद्धि दें, हृदय में ज्ञान दें,
चित में ध्यान दें, अभय वरदान दें,
आशा को सम्पूर्ण कर,
सज्जन जो हित दमें, कुटुम्ब में प्रीत दें,
जग में जीत दें, माया दें,
साया दें और निरोगी काया दें,
मान-सम्मान दें, सुख समृद्धि
और ज्ञान दें,
शक्ति दें, शक्ति दें, भक्ति भरपूर दें
॥ वन्दे मातरम॥
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