नहा कर गंगा में सब पाप धो आया...
वहीं से धोए पापों का पानी भर लाया...
वाह रे! इन्सान तरीका तेरा समझ में नहीं आया...
पाप हमारी सोच से होता हैं,
शरीर से नहीं
और
तीर्थों का जल,
हमारे शरीर को साफ करता हैं,
हमारी सोच को नहीं
गलती नीम की नहीं
कि वो कड़वा है
खुदगारजी जीभ की है
जिसे मीठा पसंद है
सुप्रभात
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