कमाल की बात...

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कमाल की बात...





आंखें तालाब नहीं,  फिर भी भर आती है!!

दुश्मनी बीज नहीं, फिर भी बोयी जाती है!

होठ कपड़ा नहीं, फिर भी सिल जाते हैं!

किस्मत सखी नहीं, फिर भी रूठ जाती है!

बुद्धि लोहा नहीं, फिर भी जंग लग जाता है!

आत्मसम्मान शरीर नहीं, फिर भी घायल हो जाता है!

                               और

इंसान मौसम नहीं, फिर भी बदल जाता है!






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