*कभी ना कहो की*
*दिन अपने ख़राब है*
*समझ लो की हम*
*कांटों से घिर गए गुलाब हैं*
*"रखो हौंसला वो मंज़र भी आएगा;*
*प्यासे के पास चलकर समंदर भी*
*आएगा...!*
*थक कर ना बैठो, ऐ मंजिल के मुसाफ़िर;*
*मंजिल भी मिलेगी और*
*जीने का मजा भी आएगा...!!!"*
*** सुप्रभातम् ***
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