जिन्दगी के इस सफर में...
निकला हूं अकेला जिन्दगी के इस सफर में,
पर राह में हमसफर बनते जा रहे हैं।
कोशिश तो होती रहेगी हमें डगमगाने की,
पर हम तो हर मुसीबत अजमाते चल रहे हैं।
चाहे लाख पत्थर पड़े होंगे राह में,
पर हम तो हर एक कदम बढ़ाते चल रहे हैं।
डर नहीं हवाओं के उन झोंकों से,
क्योंकि हम तो सपनों के घर बनाते चल रहे हैं।
समय से पहले कुछ भी न मिला किसी को,
पर हम तो दिल को यूं समझाते चल रहे हैं
जिन्दगी के इस खेल में हार तो होती रहेगी,
पर हम तो हार में भी मुस्कुराते तल रहे है।
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1 Comments
shandaar kavita
ReplyDeleteThank you to visit our blog. But...
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