*मनुष्य की वास्तविक पूंजी धन नहीं,*
*बल्कि उसके विचार हैं,*
*क्योंकि धन तो खरीदारी में*
*दूसरों के पास चला जाता हैं,*
*पर विचार अपने पास ही रहते हैं !*
*अच्छा काम करते रहो कोई*
*सम्मान करे, या न करे,*
*क्योंकि सूर्योदय तब भी होता हैं,*
*जब करोड़ों, लोग सोए होते हैं !!*
**सुप्रभातम्**
0 Comments
Thank you to visit our blog. But...
Please do not left any spam link in the comment box.