तुझ बिन
बापू तुझ बिन आज ये तेरी गलियां सूनी हैं
हां आज उन्नति रात चौगुनी, और दिन दूनी है
पर तेरे भारत को और तरंगें, अभी भी छूनी हैं
इस भारत में कुछ यात्राएं, और भी होनी हैं
दांडी में तो टूटा नमक, परंपराएं और भी टूटनी हैं
बापू तुझ बिन आज ये तेरी, गलियां सूनी हैं।
एक तमन्ना 'शुभ' को मन में आजा लेके इक अवतार
इस कुरीत अग्नि में बरसे जैसे सावन की बौछार
जैसे दी थी तब आजादी लड़ के तूने गोरों से
आज आजाद करा दे, मानस मन में बसे अंधेरों से
कर दे फिर इक बार सत्य-शांति समागम जीवन में
दे दे सभी कुरीति कुंड में
बापू तुझ बिन आज ये तेरी गलियां सूनी हैं।
@ दिनेश सेन 'शुभ'
महात्मा थे
थाम लिया था हाथ सबका नेक रास्ते बढ़ते गए,
हिंसा से दूर रह के आजादी वास्ते लड़ते गए।
तन पे सूती वस्त्र वे ओढे, हाथ में लाठी रखते थे,
हिंसा के विरोधी थे वो यही परिपाटी रखते थे।
राष्ट्रपिता के नाम से जिनको मिली हुई पहचान है,
जिनके संघर्ष के समय से वाकिफ हर इंसान है,
जिनकी बातों में अपनापन वो भाईचारा रखते थे,
देश की खातिर कुछ करने तत्पर हमेशा रहते थे,
अहिंसा के पथ पर चलते वो भी राष्ट्रवादी थे,
ऐसे शख्स और कोई नहीं अपने महात्मा गांधी थे।
@ योगेन्द्र जीनगर 'यश'
गौरव आप
हर दिल में तस्वीर जो होती, बापू सचमुच आपकी।
जीवन में लोगों के बापू बात न होती पाप की।
ऋणी है भारत, देश भावना, निष्ठा अनुपम आपकी।
राष्ट्र गौरव थे तुम बापू, छवि अनोखी आपकी।
श्रम सेवा व सत्य अहिंसा रीति-शैली प्यारी थी।
धैर्य, सहिष्णू सहनशीलता, नीति-तुममें न्यारी थी।
उपवासों से आत्म शुद्धि की, विधि थी पश्चाताप की।
राष्ट्र गौरव थे तुम बापू, छवि अनोखी आपकी।
समता-ममता स्नेह भावना, प्रबल आत्मविश्वास था।
वस्तु स्वदेशी भाषा अपनी पसंद-देशहित खास था।
राष्ट्र गौरव थे तुम बापू, छवि अनोखी आपकी।
@ रामगोपाल राही
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