कहने का तरीका
एक मशहूर प्रेरक वक्ता ने समारोह में कहा...
मैंने अपनी जिन्दगी के सबसे अच्छे साल उस औरत की बांहों में गुजारे, मेरी पत्नी नहीं थी...
यह सुनकर सब एकदम चुप हो गए, तब उस वक्ता ने अपनी बात आगे बढ़ाई...
वह औरत मेरी मां थीं।
सब ने खूब तालियां बजाई
वहां पर मौजूद एक भाई ने यही कथन अपने घर में चार पैग लगाने के बाद अजमाना चाहा...
किचन में काम कर रही अपनी पत्नी के पास जाकर बोला...
मैंने अपनी जिन्दगी के सबसे अच्छे बरस उस औरत की बांहों में गुजारे, जो मेरी पत्नी नहीं थी
पर बदकिस्मत इसके बाद की लाइने बेचारा नशे की वजह से भूल गया और बुदबुदाया मुझे याद नहीं आर रही वो औरत कौन थीं
बाद में उसे होश आया तो वो अस्पताल में था, बेनल से हाथ, पैर, थोबड़ा, पसली और भी ना जाने क्या क्या टूट चुके थे। बाल नोचे हुए थे, उबला पानी फेंके जाने से बुरी तरह से झुलस गया था बेचारा...
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