आरक्षण पर छोटी सी कविता

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आरक्षण पर छोटी सी कविता



ये कविता किसी दोस्त द्वारा फेसबुक पोस्ट की गई कविता के जवाब में लिखी गई है। जिसने अपनी कविता के माध्यम से कुछ लोगों पर कठोर प्रहार किया था। उसकी कविता को आप यहां क्लिक करके देख (पढ़) सकते हैं। और उसी के जबाव में ये लिखी गई लघु कविता, यदि आपको अच्छी लगती है तो जरूर बताइए...

जिन्होंने दे दिया आपको रोजगार
जिन्होंने आपको बना दिया अपने बराबर का हकदार
जिन्होंने पहना दिया आपको आरक्षण रूपी वोे ताज
जिसका मोह रखता है हर कोई आज

जिसका तोड़ कोई नहीं ढूंढ पा रहा है आज
जिसका नाम पर होेते हैं कितने दंगे फसाद
जिसका लालाच है इतना मजेदार

जिससे करते हैं आप इतना प्यार
अपनी काबिलियत को करके दरकिनार
क्यों भाग रहे इसके पीछे आज?
क्या आज भी वही है आपका हाल!

जिसके कारण मोह नहीं छूट पा रहा आपका आज
जिसके कारण करते हैं कोहराम आए दिन आप
फोकट की मिलने से हो गए हो आदी
या मेहनत करने से कतराते हो आप!

हमको नहीं हैं इससे कोई एतराज
फिर भी हर कोई है इसका हकदार?

मैं आज आपसे पूछता हूं,
इसे पाना वाला है हर कोई वास्तविक हकदार?
जिसके लिए हो आप इतने बेताब!

क्या आप भूल गए वो बात?
मात्र कितने दिनों के लिए मिला था ये ताज
जिसको नेताओं ने पहना दिया राजनीतिक नकाब
जिसको पैत्रिक सम्पत्ति समझ बैठे आप!
मेहनत से इतने डरते हो आप?

@mrs

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