एक फ्लैट में घंटी बजती है...
और महिला जो घर में अकेली है...
दरवाजा खोलती है...
भिक्षुक : माई, भिक्षा दे।
महिला : ये लो, महाराज...
भिक्षुक : माई, जरा यह द्वार पार करके बाहर तो आना।
... और वह द्वार पार करके बाहर आती है।
भिक्षुक (उसे पकड़ते हुए ) : हा... हा... हा...
मैं भिक्षुक नहीं, रावण हूं!
महिला : हा..! हा..! हा..! मैं कहां सीता हूं,
मैं तो कामवाली बाई हूं।
पिक्चर अभी बाकी है...
रावण : हा..! हा..! हा..!
सीता का अपहरण करके आज तक पछता रहा हूं,
तुम्हें ले जाऊंगा तो मंदोदरी खुश हो जाएगी। उसे भी कामवाली बाई की ही जरूरत है...
महिला : हा..! हा..! हा..!
पगले, सीता को ढूंढने सिर्फ राम आए थे...
मुझे ढुंढने सारी सोसायटी आएगी।
0 Comments
Thank you to visit our blog. But...
Please do not left any spam link in the comment box.