वाह रे जमाना

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वाह रे जमाना



वाह रे! जमाना तेरी हद हो गई,
बीवी के आगे मां रद्द हो गई!
बड़ी मेहनत से जिसने पाला,
आज वो मोहताज हो गई!
...और कल की छोकरी,
तेरी सरताज हो गई!
बीवी हमदर्द और मां सरदर्द हो गई!
वाह रे! जमाना तेरी हद हो गई!


पेट पर सुलाने वाली,
पैरों में सो रही!
बीवी के लिए लिम्का,
मां पानी को रो रही!
सुनता नहीं कोई, वो आवाज देते सो गई!
वाह रे! जमाना तेरी हद हो गई!


मां मांजती बर्तन,
वो सजती संवरती हैं!
अभी निपटी ना बुढ़िया तू,
उस पर बरसती है!
अरे दुनिया को आई मौत,
तेरी कहां गुम हो गई!
वाह रे! जमाना तेरी हद हो गई!


अरे जिसकी कोख में पला,
अब उसकी छाया बुरी लगती,
बैठ होण्डा पे महबूबा,
कन्धे पर हाथ जो रखती,
वो यादें अतीत की,
वो मोहब्बतें मां की, सब रद्द हो गई!
वाह रे! जमाने तेरी हद हो गई!


बेबस हुई मां अब,
दिए टुकड़ों पर पलती है,
अतीत को याद कर,
तेरा प्यार पाने को मचलती है!
अरे मुसीबत जिसने उठाई, वो खुद मुसीबत हो गई!
वाह रे! जमाना तेरी हद हो गई!

मां तो जन्नत का फूल है,
प्यार करना उसका उसूल है,
दुनिया की मोहब्बत फिजूल है,
मां की हर दुआ कबूल है,
मां को नाराज करना इंसान तेरी भूल है,
मां के कदमों की मिट्टी जन्नत की धूल है,
अगर अपनी मां से है प्यार तो
अपने सभी दोस्तो को सेन्ड करे वरना,
ये मेसेज आपके लिए फिजूल है।

आज पता चल जायेगा आप अपनी मां से कितना प्यार करते हैं।


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