शांत मन ही आत्मा की ताकत है,
शांत मन में ही ईश्वर विराजते हैं।
जब पानी उबलता है तो हम उसमें अपना प्रतिबिम्ब नहीं देख सकते हैं
और शांत पानी में हम खुद को देख सकते हैं।
ठीक वैसे ही अगर हमारा हृदय शांत रहेगा तो
हमारी आत्मा के वास्तविक स्वरूप को हम देख सकेंगे।
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