सुंदर रिश्तों से बढ़कर कुछ नहीं

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सुंदर रिश्तों से बढ़कर कुछ नहीं




*, प्रेम से बढ़कर त्याग  है।*

 *दौलत से बढ़कर मानवता है,

परंतु  सुंदर रिश्तों से बढ़कर

इस दुनियाँ में कुछ भी नहीं है।*


*जरूरी नहीं की मिठाई खिलाकर ही दूसरो का मुंह मीठा करे,

आप मीठा बोलकर भी लोगों को खुशियां दे सकते है।*

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