इंसान का मोह

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इंसान का मोह




*इंसान नीचे बैठा दौलत गिनता है*

*कल इतनी थी – आज इतनी बढ़ गई...*

*ऊपर वाला हंसता है और इंसान की सांसे गिनता है…*

*कल इतनी थीं – आज इतनी कम हो गईं।*

*"दुनियां के रैन बसेरे में...*

   *पता नही कितने दिन रहना हैं,*

       *"जीत लें सबके दिलों को...*

  *बस यही जीवन का गहना हैं।"*

              🌷 *सुप्रभात्* 🌷


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