कुछ करना है, तो डटकर चल,
थोड़ा दुनियां से हटकर चल,
लीख पर तो सभी चल लेते हैं,
कभी इतिहास को पलटकर चल,
बिना काम के मुकाम कैसा?
बिना मेहनत के, दाम कैसा?
जब तक ना हांसिल हो मंज़िल
तो राह में, राही आराम कैसा?
अर्जुन सा, निशाना रख, मन में,
ना कोई बहाना रख!
लक्ष्य सामने है,
बस उसी पर अपना ठिकाना रख!!
सोच मत, साकार कर,
अपने कर्मों से प्यार कर!
मिलेगा तेरी मेहनत का फल,
किसी ओर का ना इंतज़ार कर!!
जो चले थे अकेले उनके पीछे आज मेले हैं ...
जो करते रहे इंतज़ार उनकी
जिंदगी में आज भी झमेले हैं।
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