शीशा और पत्थर संग संग रहे तो बात नही घबराने की...
शर्त इतनी है कि बस दोनों ज़िद ना करे टकराने की...
रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,
रिश्ता निभाने से रिश्ता बनता है।
"दिमाग"से बनाए हुए "रिश्ते"
बाजार तक चलते हैं...
और
"दिल" से बनाए "रिश्ते"
आखरी सांस तक चलते हैं!
आपका दिन मंगलमय हो
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